समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो। समाज के इन घरों को आखिर क्यूँ बाँँटते हो क्यूँ बाँटते हो।
एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझाने की कोशिश करता है... एक बालक की जिज्ञासा है जिसमें वह अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए अपने अबोध मन को समझ...
लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I लकीरों में नहीं कर्म से, सींच अपने भाग्य का मंजर I
छलकती है गगरी अधजल जब हो भरी न समझ तू ईश है मेरी समझ तू विष है! छलकती है गगरी अधजल जब हो भरी न समझ तू ईश है मेरी समझ तू विष है!
ये तौर, ये तरीके, बनाए किसने! ये तौर, ये तरीके, बनाए किसने!
ये बाधाएं भी ओझल हो जाएंगी, जिंदगी फिर से एक सुनहरा सवेरा ले आयेगी,।। ये बाधाएं भी ओझल हो जाएंगी, जिंदगी फिर से एक सुनहरा सवेरा ले आयेगी,।।